जार्ज लुकाच हंगरी के नहीं, वरन विश्व के बड़े मार्क्सवादी विचारक थे। मात्र सत्रह वर्ष की आयु में उन्होंने कार्ल मार्क्स की ‘दास कैपिटल’ का अध्ययन कर लिया था। दर्शन,राजनीतिक कर्म और मार्क्सवाद में गहरी आस्था के चलते लुकाच को…

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ब्रज श्रीवास्तव समकालीन काव्य परिदृश्य में एक युवा स्वर है। ब्रज की कविताएं आकार में छोटी होती हैं किन्तु उनके निहितार्थ बड़े आशयों को रूप देते हैं। यहां जीवन के विविध रंग – रूप की कविताएं हैं जो कहन में…

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इधर की कविता में ख़ासतौर से स्त्री – जीवन को प्रश्नांकित करने वाले रचनाकारों में आरती एक महत्त्वपूर्ण नाम हैं। आरती स्त्री को एकांगी रूप में नहीं , वरन् जीवन की सम्पूर्णता में उससे रू – ब – रू होती…

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कृष्ण कल्पित समकालीन रचना – परिदृश्य में एक ऐसा नाम हैं जो समय की क्रूर सच्चाई को बेबाक होकर दर्ज़ करते हैं। ख़ुद्दार कवि हैं। जनता के पक्ष में दरबार को ललकारते हैं। इस आलोक में देखें तो कृष्ण कल्पित…

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मुंशी प्रेमचंद के बाद जो कथा पीढ़ी सक्रिय रही, उनमें अज्ञेय, इलाचंद्र जोशी, उपेन्द्रनाथ अश्क के साथ जगन्नाथ प्रसाद चौबे ‘वनमाली’ का नाम भारी आदर के साथ लिया जाता है। वनमाली कथाकार के साथ शिक्षाविद थे। 1934 में ‘ जिल्दसाज़…

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