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भगवान दास मोरवाल हिंदी कहानी के नौवे दशक के समादृत कथाकार हैं। देश की राजधानी से सटे मेवात का प्रतिनिधित्त्व करने वाले मोरवाल के अभी तक ग्यारह उपन्यास जिनमें काला पहाड़, रेत, नरक मसीहा, सुर बंजारन, ख़ानज़ादा, मोक्षवन और कांस…

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लीलाधर मण्डलोई समकालीन कविता या यूं  कहें अरुण कमल, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी ,उदय प्रकाश की पीढ़ी के बाद के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। अपने प्रारंभिक जीवन और स्कूलिंग के बाद जब मण्डलोई नौकरी में आए और जहां – जहां उनकी…

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अवधेश प्रीत हिंदी कथा के नौवे दशक के सबसे समादृत कथाकार हैं। आपके अभी तक सात कहानी संग्रह और दो उपन्यास प्रकाशित हैं जो काफी लोकप्रिय रहे। आपकी रचनाएं हमें समाज के उस अंधेरे में ले जाती हैं जहां अमूमन…

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नेहल शाह इधर की कविता में एक चिर परिचित नाम है। नेहल सीधी सरल कविताएं लिखती हैं जिसमें समकालीन जीवन के विविध रंग सांसें लेते दीखते हैं। यहां हम नेहल की बिम्बों के मार्फत विषमतापूर्ण जीवन को रूप देने वाली…

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डी एम मिश्र एक ऐसे ग़ज़लगो हैं जो किसी भी विषय को कवित्त का रूप दे देते हैं। लेकिन इस कवित्त में शिल्प का झाग नहीं रहता वरन् एक विचार प्रवहमान रहता है जो आपको विवेकपूर्ण सोच से घेर लेता…

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