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गोलेन्द्र पटेल को मैं पहली बार पढ़ रहा हूं। पढ़ते ही लगा कि किसान – मजूर चेतना का यह कवि अपने समय – समाज को नई दृष्टि से देख रहा है। कविता नया करवट ले रही है। इस कवि की…

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लेव तोलस्तोय की एक कहानी है – इवान इल्यीच की मृत्यु। यह कहानी मृत्यु की भयावहता की नहीं है , वरन् अपने दायरे से बाहर पैर पसारने पर मृत्यु इंसान को कैसे अपनी तरफ़ खीचती है – यह कहानी का…

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रचना किसी भी काल -खण्ड की हो सकती है लेकिन उसमें तत्कालीन जीवन का प्रतिबिम्ब होना ज़रूरी है, तभी वह सार्थकता की अर्थवत्ता प्राप्त कर पाती है। सौमित्र की प्रस्तुत गोपिका कहानी महाभारतकालीन समय की है लेकिन यह तत्कालीन जीवन…

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स्त्री हर काल में उपेक्षित और तिरस्कृत रही। ऐसा माना जाता है कि स्त्रीवादी दृष्टिकोण ही था जो स्त्रियों को भी मनुष्य माने जाने और उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार की माँग किए जाने के साथ उभरा। समय के साथ -साथ…

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तकनीक और भीड़ के इस दौर में अकेलापन एक सार्वभौमिक अनुभव बन चुका है। साहित्य के साथ सिनेमा, इस अकेलेपन को वैश्विक स्तर पर एक प्रबल संवेदना के रूप में दर्ज़ कर रहा है। पिछले वर्षों चर्चा में आईं ‘हर’( …

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