एक पत्ता चांद – भालचंद्र जोशी की कहानी है लेकिन यह कहानी के वर्तमान पाठ से असहमत होते हुए एक नये पाठ की कहानी है ,बल्कि यों कहें , किसी कवित्त का टुकड़ा है जो एक छोटे से क्षण में…
प्रसिद्ध आलोचक एवं कथाकार – उपन्यासकार वैभव सिंह का हाल ही में ‘अनुमतिपत्र’ नाम से उपन्यास वाणी प्रकाशन से छपकर आया है जो भारी चर्चा में है। यह उपन्यास पृथ्वी ,संस्कृति ,प्रकृति और मनुष्यता के टूटते तथा क्षत-विक्षत होते रिश्तों…
कहा जाता है, इंसान के लिए पृथ्वी में जगह की कमी नहीं है लेकिन मनुष्य की ईर्ष्या या लालच ने मनुष्य के लिए कहीं जगह नहीं छोड़ी। समकालीन कविता की युवा हस्ताक्षर पल्लवी त्रिवेदी की कविताओं को उपरोक्त पंक्तियों के…
अरुण आदित्य समकालीन कविता का विश्वसनीय जनवादी स्वर है। उनकी कविताओं में हमारे निष्करुण और हिंसक समय के स्याह चित्र हैं। वे हाशिए के जीवन के करुण प्रसंगों को मूर्त करते आए हैं। इधर वे अपनी कविताओं को संक्षिप्त काया…
हिन्दी सिनेमा में घोर रूमानियत और विशुद्ध मनोरंजन की फ़िल्मों के बावजूद विचार के स्तर पर कुछ कला फ़िल्में ऐसी भी आई हैं जो फ़िल्म – प्रेमियों के दिलो – दिमाग़ से आज तक नहीं बिसरीं। मुग़ले आज़म और गमन…