Press ESC to close

‘गुम ख़ज़ाना’ एक ऐसे कलाप्रेमी संग्रहकर्ता की कहानी है जो अपनी आंखों की ज्योति खो बैठा है ,लेकिन दुर्भाग्य का खेल कहें ,वह अपनी जमापूंजी – कला – कृतियों को भी खो बैठता है और इसका उसे रत्ती भर भी…

Continue Reading

‘ मध्य लय में रक्त सूर्य ‘ लीलाधर मण्डलोई की लम्बी कविता है। राम की शक्ति पूजा , नगई महरा , अंधेरे में, पटकथा , लुकमान अली, मां जानती है की काव्य – परम्परा और कहें तो ‘महाजनी सभ्यता ‘…

Continue Reading

चित्रा सिंह की प्रस्तुत कविताएं प्रेम के विविध शेड्स को अभिव्यक्ति देती हैं। प्रेम में जहां गहरी आसक्ति है,लगाव है , वहीं विछोह है और उसकी पीड़ा। लेकिन पीड़ा को चित्रा सिंह मुक्ति की संज्ञा देती हैं जिसमें वे टूटती…

Continue Reading

मुंशी प्रेमचंद के पुत्र एवं प्रसिद्ध रचनाकार श्रीपत राय ने आंचलिक उपन्यासों, ख़ासकर रेणु के उपन्यासों के बारे में कहा था कि अपने रूप – विधान और दृश्यों में वे हमें इस क़दर घेर लेते हैं कि विषय- वस्तु या…

Continue Reading

व्यंग्य रचना वही अर्थपूर्ण होती है जो गहरी करुणा – पैथाज़ से हमें भर दे। उसकी भूमिका सुलाने की नहीं, वरन् चेतनासम्पन्न करने की होती है। मलय जैन की प्रस्तुत रचना हमें गहरी पीड़ा से आहत कर देती है जब…

Continue Reading