ममता त्यागी नार्थ कैरोलाइना में रहती हैं और लगातार साहित्य से जुड़ी हुई हैं। साहित्य के लगभग सभी अनुशासनों में आप लेखन करती हैं। उपन्यास के साथ आपके कहानियों के कई संग्रह प्रकाशित हैं।
आप जैसा जीवन दिख रहा है ,उसे ज्यों का त्यों दर्ज़ नहीं करतीं वरन् नकारात्मकता के अतिरेक से गुरेज़ रखते हुए सकारात्मकता का ब्रश चलाकर जीवन को जीने लायक बनाती हैं।
प्रस्तुत कहानी इसका नमूना है।
– हरि भटनागर
कहानी :
सलून का बड़ा सा काँच का दरवाज़ा खुला ,एक खूबसूरत सी लड़की ने जैसे ही प्रवेश किया तो रिसेप्शन पर बैठी एमा ने मुस्कुराकर उसका स्वागत करते हुए पूछा ,’’यस ,व्हाट कैन आई डू फॉर यू ? ’(मैं आपके लिये क्या कर सकती हूँ ? )
‘हाई ,आइ हैव ऐन अपॉइंटमेंट विद सिमी ।’
‘ओके प्लीज़ वेट ,वह आती है अभी ।’
दो मिनट में ही सिमी वहाँ आ गई ।
‘हाई निक्की !’
‘हेल्लो सिमी ! कैसी हो ? ‘
‘मैं ठीक हूँ ,तुम बताओ कैसी हो ?’
‘एकदम बढ़िया हूँ ,बड़ी मुश्किल से आज तुम्हारी अपॉइंटमेंट मिली ।बहुत बिज़ी रहती हो ? ‘
‘हाँ ,आजकल स्प्रिंग सीजन है और शादियाँ भी बहुत हो रही हैं तो ऐसे में व्यस्तता थोड़ी बढ़ जाती है ।’
सिमी के चेहरे पर चिर परिचित मुस्कान खेल रही थी ।लम्बी छरहरी ,ताम्बे सा दमकता रंग ,कमर तक लहराते घने चमकीले काले बाल , काजल से प्रदीप्त बड़ी बड़ी आँखों वाली सिमी ने मुस्कुराकर हाथ मिलाते हुए कहा ,’आओ, अंदर चलते हैं ।’
ढेर सारी लाइटों से जगमगाता बड़ा सा सलून ,चारों तरफ़ आदमकद आइने लगे हुए ,बढ़िया गद्देदार रिवाल्विंग चेयर ,उन पर बैठी अलग अलग उम्र की लड़कियाँ और औरतें ।बेहद स्मार्ट और ख़ूबसूरत कपड़ों में सजी हेयर ड्रेसर ,काला एप्रन पहनकर कमर पर बेल्ट बाँधे हुए थीं ,जिनमें तरह तरह की कैंचियाँ और अन्य बाल काटने के औज़ार लगे थे ।सभी तन्मयता से अपने अपने काम में व्यस्त थीं ।
सिमी ने निक्की को अंदर ले जा कर एक चेयर पर बैठाया ।
‘और सुनाओ सब कैसा चल रहा है ? ‘उसके बालों को हाथ में लेकर जैसे परखते हुए उसने कहा ।
‘सब कुछ एकदम मज़े में है ,आज निखिल के घर जाना है उसके पेरेंट्स से मिलने ,इसलिए सोचा बाल सेट करवा ही लिए जाएँ ।’
‘ओह वाउ ,ग्रेट न्यूज़ ।बधाई हो ! आख़िर वह दिन आ ही गया ।’
‘हाँ सिमी ,कब से इंतज़ार था इस दिन का ।’
‘आओ ना ,फिर पहले वॉशिंग सेक्शन में चलते हैं ।’
निक्की के बालों में शैम्पू करते हुए सिमी बड़े प्यार से अपनी उँगलियाँ उसके बालों में चला रही थी ।
‘सिमी ,एक बात कहूँ ,तुम्हारे चेहरे में ही नही बल्कि हाथों में भी जादू है ।पल भर में किसी को भी अपना बना लेती हो । तुम्हारा हाथ लगा नही कि बस निखार सा आ जाता है ।’
‘थैंक्स निक्की ! यह तो सब आप लोगों का प्यार है ।’
कुछ ही देर बाद निक्की स्वयं को आइने में निहारती मुग्ध हो रही थी ।
‘थैंक्स सिमी ।’
‘आल द बेस्ट एंड एँजोय योर डे ।’
सिमी ने जल्दी से अपना सेक्शन साफ़ किया और रिसेप्शन पर आयी ।
‘आज और कोई अपॉइंटमेंट भी है क्या ? ‘
‘नही ,अभी तक तो बस इतने ही थे ,अगर किसी ने वॉक इन किया तो देखा जाएगा ।तुम भी सुबह से काम में लगी हो अब थोड़ा रेस्ट कर लो ।’एमा मुस्कुराते हुए बोली ।एमा सिमी की ख़ास सहेली और सलून में उसकी पार्टनर भी थी ।
सिमी तो जैसे सलून की शान थी ,सच कहा जाए तो सलून जैसे उसके ही कंधो पर खड़ा था ।बाल काटने और उन्हें नया रूप देने में वह सिद्ध हस्त थी ।अपने कस्टमरस के साथ उसका व्यवहार अत्यंत आत्मीयता भरा था इसलिए उसकी बहुत डिमांड थी ।
सिमी अंदर बने छोटे कमरे में जाकर कॉफ़ी लेकर बैठ गई ।उसकी साथी सोनिया भी वहीं बैठी थी ।
‘सिमी ,तुम कैसे इतना सब कर लेती हो ? ‘
‘कैसे मतलब क्या ? ‘
‘यही कस्टमर के साथ इतनी सहजता से घुल मिल जाती हो ।मुझसे तो नहीं होता ।मैं तो अनजान लोगों से खुलकर बात नहीं कर पाती हूँ ।’
सिमी हल्के से मुस्कुराई ,’सोनिया ! बाल काटना मेरे लिए काम नहीं मेरा जुनून है । मेरे लिये तो यह पेंटिंग करने जैसा है ।जब मैं किसी के बाल संवारने खड़ी होती हूँ मेरे सामने उस समय चेयर पर मेरी कोई कस्टमर नहीं ,जैसे एक ख़ाली कैनवास होता है। तब मेरी कैंची मेरी तूलिका बन जाती है और मैं उस चेहरे को नया रूप रंग देकर संवारने में लग जाती हूँ ।परंतु इससे पहले मैं वातावरण को थोड़ा अपनत्व भरा करने के लिए कस्टमर से थोड़ी बात करती हूँ। जब कस्टमर मेरे साथ बात कर सहज हो जाता है तो वह तनावमुक्त होकर बैठता है और मेरे लिये मेरा काम आसान हो जाता है ।’
‘पर तुमसे कैसे इतनी आसानी से सब अपने मन की बात कह लेते हैं ? ‘
‘सोनिया ,मैं जब कस्टमर को चेयर पर बैठाकर उसके बालों को छूती हूँ तो तभी उनके साथ मेरा एक तार सा जुड़ जाता है ।मेरा स्पर्श शायद उन्हें सहज कर देता है और वह स्वयं ही खुलने लगते हैं ।’
हाँ , पर कई बार कितने अजीब से लोग आ जाते हैं । उन्हें संतुष्ट करना दूभर ही जाता है , कुछ भी पसंद नहीं आता बस मीन मेख निकालने पर उतारू रहते हैं । उन्हें सम्भालना कितना मुश्किल होता है ना ?
हाँ ,मुश्किल तो होता है , पर उसके लिये पहले कस्टमर की साइकोलॉजी समझनी पड़ती है और ख़ुद को भी बहुत संयत रहना पड़ता है तभी बात बनती है ।
‘क्या तुम थक नहीं जाती हो सारा दिन अलग अलग लोगों की अलग अलग तरह की बातें सुनते हुए ? ‘
‘झूठ नहीं कहूँगी सोनिया ! थक तो जाती हूँ ज़रूर पर उनकी आत्मीयता का स्पर्श और उनका मुझ पर भरोसा मेरी सारी थकान मिटा देता है ।तुम तो जानती ही हो कि कस्टमर के लिये भी आसान नहीं होता अपनी हेयर ड्रेसर पर विश्वास करना ।पल भर में हम उनकी पर्सनेलिटी बदल सकते हैं ।हमारा हाथ लगते ही या तो उनका व्यक्तित्व ख़ूबसूरती झलकाने लगेगा या फिर बेड़ा गर्क ही हो जाएगा ।’कहते कहते सिमी ठठाकर हँस पड़ी ।
सोनिया को भी हँसी आ गई ,’यह तो सही कह रही हो तुम ,रिस्क तो बहुत होता है हमारे काम में ।’
तभी सिमी का पेजर बज उठा ।’अच्छा चलूँ ,एमा बुला रही है ।’
सिमी काउंटर पर गई तो देखा एक किशोरी बच्ची अपनी माँ के साथ एमा के पास खड़ी थी ।
‘लीजिए सिमी आ गई ! ‘
‘सिमी ,ये मायरा और उसकी मॉम शाहीन है ।शाहीन मेरी पुरानी दोस्त है ,इनका आग्रह है कि इनकी बेटी का हेयर कट तुम्हीं करो ।’
सिमी ने एक नज़र बच्ची पर डाली ,हल्का सांवला सा रंग ,बड़ी बड़ी आँखें घुमावदार रेशमी पलकें उसके चेहरे को प्रदीप्त कर रही थीं। चेहरे पर संकोच की रेखाएँ थी ,बच्ची कुछ उलझन में लग रही थी ।
‘हेलो मायरा !आओ मेरे साथ ।’सिमी ने अपनी मनमोहक मुस्कान बिखेरते हुए कहा ।
मायरा ने एक दृष्टि अपनी माँ पर डाली तो शाहीन ने तुरंत कहा ,’तुम चलो हेयर कट शुरू करवाओ ,मैं अभी आती हूँ ।’
सिमी ने बड़े प्यार से मायरा के कंधे पर हाथ रखा ,’आओ चलें ।’
अंदर ले जाकर चेयर पर बैठाकर सिमी ने उसके बाल हाथ से सहलाने आरंभ किए ,’वाह! कितने सुंदर घने और चमकीले बाल हैं तुम्हारे मायरा ।मैंने तो ऐसे सुंदर बाल कभी किसी और के नहीं देखे ।’
‘आपको ऐसा लगता है ? देखिए ना कितने कर्ली हैं ,ऐसा लगता है सिर बहुत बड़ा हो गया ।’
‘अरे नहीं ,कर्ली बाल तो अपने आप में एक देन हैं । हाँ थोड़ी सी मेंटेनेंस ज़्यादा माँगते हैं पर अलग हट कर दिखते भी तो हैं ।तुम्हारी तो ख़ूबसूरती में चार चाँद लगा रहे हैं ।’
‘आपको लगता है मैं सुंदर हूँ ? ‘मायरा थोड़ी सी सहज होने लगी थी ।
‘और नहीं तो क्या ? बहुत बहुत प्यारी हो ,इतने सुंदर बाल और इतनी प्यारी आँखें हैं ।’
‘पर मेरा रंग तो सांवला है ना ,सब गोरे रंग को पसंद करते हैं ।’
‘ नहीं मायरा ,रंग सब कुछ नहीं होता ।आप स्वयं को कैसे कैरी करते हो यह उस पर डिपेंड करता है ।अभी देखना आज हेयर कट के बाद तुम्हें स्वयं ही लगेगा कि तुमसे सुंदर कोई हो ही नहीं सकता ।’
मायरा के चेहरे पर एक शर्मीली सी मुस्कुराहट आ गई ।
तभी शाहीन भी आ गई ,’सिमी ,मैंने बहुत लोगों से आपके बारे में सुना है तभी चाहती थी कि मेरी बेटी के बाल आप ही काटें ।’
‘ज़रूर क्यों नहीं ,इतनी प्यारी बिटिया के इतने सुंदर बाल कौन नहीं काटना चाहेगा ।’
‘पर मम्मी को ऐसा नहीं लगता कि मेरे बाल सुंदर हैं ।उन्हें लगता है कि लंबे बालों की सम्भाल करना मुश्किल है तो छोटे करवा देती हैं ।’
शाहीन का चेहरा उतर गया ।
इससे पहले वह कुछ बोलती सिमी ने कहा ,’मायरा ! मुझे ऐसा नहीं लगता कि वह ऐसा सोचती हैं ।अभी तुम छोटी हो और चेहरा भी पूरी तरह भरा नहीं है तो ऐसे में छोटे बाल तुम्हारे चेहरे की आभा अधिक बढ़ा देते हैं ।’
मायरा की आँखों में चमक सी आ गई।’ आप सच कह रही हैं ?’
‘हाँ ,और नहीं तो क्या ? ‘
शाहीन ने आँखों ही आँखों में सिमी का शुक्रिया किया ।
सिमी जानती थी टीनऐजर लड़कियों की समस्या को ,उन्हें इस उम्र में अपनी ही माँ पर भरोसा सबसे कम होता है ।मन ही मन वह मुस्कुरा उठी ।
वह स्वयं भी तो टीन ऐज लड़की की माँ थी और इस उम्र की लड़कियों की समस्या अच्छी तरह जानती थी ।
थोड़ी देर में बाल कट गये ,मायरा स्वयं को आईने में निहार कर खुश थी, शाहीन ने संतोष की साँस लेकर सिमी का शुक्रिया अदा किया ।
ऐसी ही थी सिमी ,पल भर में किसी भी समस्या को चुटकियों में सुलझाकर सबका मन जीत लेती थी ।
काम ख़त्म हो गया था सलून बंद करने का समय भी हो गया था ।आज वह काफ़ी थक गई थी ,पता नहीं पिछले कुछ दिनों से उसे जल्दी थकान होने लगी थी।
उसने काउंटर साफ़ किया ,सारा सामान व्यवस्थित किया और पर्स उठाकर बाहर आयी ।एमा भी तब तक चलने को तैयार थी ,बाक़ी लड़कियाँ काम ख़त्म कर जा चुकी थीं ।
‘सुनो एमा ,कल सुबह का तुम सम्भाल लेना यहाँ का ।कल मेरी डॉक्टर के साथ अपाइंटमेंट है ।’
‘क्या हुआ ? सब ठीक तो है ना ? ‘
‘ऐसे तो सब ठीक ही है बस आजकल थकान जल्दी होने लगी है ।सोचा चेक अप करवा ही लूँ ।’
‘अरे बहुत ज़रूरी है ,तुम आराम से जाओ और कल आने को ज़रूरत नहीं है रेस्ट करना ।यहाँ का सब मैं देख लूँगी ।’
सिमी मुस्कुराने लगी ,’मुझे पता है तुम्हारे रहते मुझे कोई चिंता नहीं ।’
घर आकर सिमी निढाल सी लेट गई ,पता नहीं क्यों मन में दुश्चिंता सी थी ।पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ था ,अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा जागरूक रही थी ।हेल्थी ख़ाना ख़ाना ,वॉक करना सब कुछ करती थी ।पर अचानक सेहत में आये बदलाव से उसका मन थोड़ा शंकित था ।एक अव्यक्त सा डर ना जाने क्यों उसे खा रहा था ।
सुधीर भी ऑफिस के काम से मलेशिया गये हुए थे ,सिमी ने उन्हें भी कुछ बताना ठीक नहीं समझा ।और अपनी सोलह साल की बिटिया से तो भला क्या बात करती ।उसे तो वैसे ही आजकल सखी सहेलियों से कुछ ज़्यादा ही प्यार था ।ऐसा नहीं कि वह केट अपनी माँ को नहीं चाहती थी पर जैसा कि हर टीन ऐजर को इस उम्र में अपने दोस्त ज़्यादा अच्छे लगते हैं और उन पर ही अधिक भरोसा भी होता है बस यही उसके साथ भी हो रहा था ।
जल्दी से डिनर की तैयारी की ,केट को बुलाया तो उसका वही जवाब था ,अभी भूख नहीं है ,बाद में खा लूँगी ।
मन ही मन फिर थोड़ा सा भुनभुनाई वह ,इस लड़की का यह रोज़ का तमाशा हो गया है ,जो बना है साथ नहीं ख़ाना , बाद में उल्टा सीधा कुछ फ्रिज से निकाल कर चर लेगी ।माँ के हाथ का ख़ाना ही बस कड़वा लगता है इनको ।
पर आज उसका कुछ बोलने का मन ही नहीं हुआ ,उसे लगा कुछ कहा तो बहस होगी फिर बिना बात के उसका मूड और भी ख़राब हो जाएगा ।
चुपचाप उसने थोड़ा सा ख़ाना प्लेट में लिया और खाकर सोने चली गई ।
आँखों में नींद नहीं थी ,उसने एक किताब उठाई ,पर आज मन जैसे स्थिर ही नहीं हो रहा था ।दुश्चिंताएँ उस पर हावी हो रही थीं।बड़ी मुश्किल से उसकी आँख लगी पर सुबह अलार्म से पहले ही नींद खुल गयी ।
केट अभी सोयी थी ,उसने अपनी अपॉइंटमेंट के बारे में उसे नहीं बताया था ।उठ कर जल्दी से वह तैयार हुई ,केट का ब्रेकफ़ास्ट टेबल पर रखा और कार लेकर निकल गयी ।
आठ बजे वह हॉस्पिटल में थी ,दस मिनट बाद ही डॉक्टर तृषा ने उसे बुलवा लिया । बहुत तसल्ली से उसने सिमी की जाँच की ।सिमी की घबराहट उसने भाँप ली ।
‘देखो सिमी ,मुझे थोड़ी सी शंका है ,तुम्हारी लेफ्ट ब्रेस्ट में एक लम्प हो सकता है ।ज़रूरी नहीं सॉफ्ट टिश्यू भी हो सकता है ,परंतु कोई रिस्क नहीं ले सकते इसलिए तुरंत मैमोग्राम करना ज़रूरी है ।’
‘पर अभी छः महीने पहले ही तो मैमोग्राम हुआ था और रिपोर्ट भी ठीक थी ।’
‘हाँ ,तब बिलकुल ठीक था ,और हो सकता है कि अभी भी ठीक ही हो ।’
‘पर मुझे कोई पेन भी नहीं है ,बस थकान ज़्यादा है ।’
‘मैंने कुछ ब्लड टेस्ट भी लिखे हैं ,उससे भी क्लियर हो जाएगा ।टेंशन मत करो ,आज ही टेस्ट करवाओ फिर देखते हैं ।समस्या है तो समाधान भी बहुत हैं ।’
‘ओके डॉक्टर ! मैं टेस्ट करवाकर आपको कल मिलती हूँ ।’बुझे से मन से सिमी वहाँ से उठी और हॉस्पिटल में ही सारे टेस्ट करवा लिये ।घर आते आते बहुत थकान लगने लगी थी ।
घर आकर देखा केट आराम से काउच पर लेट कर अपने मोबाइल में कुछ देखने में लगी थी ।सिमी आकर निढाल सी बैठ गई ,केट अपनी ही दुनिया में थी ।सिमी का सहसा मन भर आया ,एक तो सुबह से बिना कुछ खाए हुए थी और फिर डॉक्टर की बात से और भी आशंकित हो गयी थी ।
केट! हारकर उसने ख़ुद ही आवाज़ दी ।
‘हूँ ,क्या हुआ ? आज आप जल्दी आ गयीं ? ‘बिना देखे उसने एक प्रश्न दाग दिया ।
‘हाँ आज मैं सलून नहीं गयी ,तबियत ठीक नहीं है ।पानी पिला दो मुझे ।’
‘क्या हुआ आपको ? ‘केट अचानक थोड़ी परेशान सी लगी ।
पता नहीं उसे ऐसे देखकर सिमी को अनजाना भय सा लगा ।अगर मुझे कुछ हो गया तो इसका क्या होगा ? यह तो अभी बहुत नादान बच्ची है ।
केट पानी लाकर उसके पास बैठ गयी ,’मॉम ! क्या हुआ आपको ? बहुत टेंस्ड लग रही हो ।’
‘नहीं कुछ ख़ास नहीं ,बस ऐसे ही थकान थी तो रूटीन चेकअप के लिए हॉस्पिटल गई थी ।’
‘आपने पहले क्यों नहीं बताया ? मैं भी साथ चलती ।’
‘अरे नहीं बेटा ,ऐसी कोई बात नहीं है ।मैं बिलकुल ठीक हूँ ।थोड़ा रेस्ट करूँगी और सब ठीक हो जाएगा ।’
‘चलो उठो आप और जाकर अपने रूम में रेस्ट करो ।मैं पिज़्ज़ा ऑर्डर कर रही हूँ ।आप कुछ काम नहीं करोगी ।’
‘अरे नहीं मैं ठीक हूँ ,अभी सब हो जाएगा ।’
‘आप जाओ मॉम ,आराम करो ।’
सिमी को एकदम से बहुत सा प्यार आ गया केट पर ,उसने उसे गले से लगा लिया ।कुछ भी था है तो अपनी बिटिया ही ,बच्चे तो सभी ऐसे होते हैं इस उम्र में ।मन हल्का सा हो गया उसका ,जैसे कोई बोझ सा उतर गया हो ।
वह अंदर कमरे में आकर लेट गई ,ज़रा देर में उसकी आँख लग गई ।एक घंटे बाद उठी तो काफ़ी अच्छा लग रहा था ,दुश्चिंता आकर घेरती थी पर उसने झटककर दिमाग़ से निकालने की कोशिश की ।देखते हैं कल क्या होगा ,आज से क्यों अपना दिमाग़ उलझाया ।ख़ुद को जैसे उसने समझाने का प्रयत्न सा किया ।
शाम को कुछ देर केट के साथ शॉपिंग के लिए निकाल गई ,मन को राहत सी थी ।अगले दिन सलून जाने के लिए तैयार हो ही रही थी कि डॉक्टर तृषा का मेसेज आया कि अभी मिलना चाहती हैं ।मन फिर विचलित सा होने लगा ,किसी तरह ख़ुद को सम्भाल कर केट से बिना कुछ कहे वह हॉस्पिटल पहुँच गई ।
डॉक्टर के कमरे में बैठे उसकी साँस जैसे रुक सी रही थी ।
‘सिमी ,आई एम सो सॉरी ।टेस्ट के परिणाम कुछ ज़्यादा संतोषजनक नहीं हैं ।ब्रेस्ट में एक लम्प है जिसकी तुरंत बायोप्सी करनी होगी ।’
सिमी धक से रह गई ,’यू मीन कैंसर ? ‘
‘संभावना तो यही लग रही है बाक़ी बायोप्सी के बिना निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता ।’
सिमी काठ सी होकर बैठी रही ,कुछ भी ना कह सकी ।
‘आजकल मेडिकल साइंस बहुत एडवांस है ,सो यू डोंट वरी ।सर्जरी ,कीमो से इसे ख़त्म किया जा सकता है ।पहले तो बायोप्सी कर लें ,फिर डिसाइड करेंगे ।’
सिमी यन्त्रवत सी टेस्ट करवाती रही ।तीन चार दिनों में ही उसकी ज़िंदगी अचानक जैसे बदल गई ।सुधीर मेसेज मिलते ही तुरंत काम छोड़कर आ गये ,केट भी अचानक जैसे ज़िम्मेदार हो गई ।एक घटना से जीवन इस तरह बदल जाएगा सिमी ने कभी सोचा ना था ।उसने मन को मज़बूत करने की कोशिश की ,किसी भी तरह वह सबके सामने कमज़ोर नहीं पड़ना चाहती थी ।
मृत्यु अचानक इस तरह आकर दस्तक देगी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी ।अभी तो उसने केवल चालीस वसंत ही देखे थे ,कितना कुछ अभी करना बाक़ी था ।
कुछ ही दिनों में घर बाहर सबका व्यवहार उसके प्रति अप्रत्याशित रूप से बदल गया था ।उसे लग रहा था मानो सहसा वह दया का पात्र हो गई हो ,सबकी आँखों में अपने प्रति सहानुभूति सी देख उसका मन विचलित सा होने लगा था ।वह चाह कर भी बहादुर होने का ढोंग नहीं कर पा रही थी ।
हर पल वह सोचने लगी कि स्थितियाँ अचानक कैसे बदल गई है !हर कोई मेरी कुछ ज़्यादा ही चिंता करने लगा है मैं बहादुर होने का ढोंग और नहीं कर पा रही हूँ । मौत धीरे धीरे मेरी तरफ़ कदम बढ़ा रही है ।अब क्या होगा ,यह प्रश्न उसे खाने लगा ।
कैंसर अभी सेकंड स्टेज में ही था ,डॉक्टर के अनुसार अभी सम्भाला जा सकता था ।
डॉक्टर ने सर्जरी से पहले उसे और सुधीर को समझाया था कि ब्रेस्ट खो देना आपको इमोशनली ब्रेक करेगा परंतु ज़िंदगी ने अवसर दिया है ज़िंदा रहने के लिये अगर इसके लिए कुछ परित्याग करना पड़े तो करना होगा ।
आपकी इंटिमेसी में भी थोड़ा फ़र्क़ आएगा ,मुझे इस बात की ख़ुशी है कि आपके पति काफ़ी सहयोग कर रहे है ।
हाँ ,एक बात और है जिसे मैं आपको पहले ही बता देना चाहती हूँ ।सर्जरी के बाद आपको अर्ली मीनोपॉज भी होगा ,इसमें कुछ समस्याएँ आती हैं ,मसलन हॉट स्विंग्स ,मूड स्विंग आदि ।परंतु आप अगर अपने मन को मज़बूत रखेंगी तो यह सब ज़्यादा मुश्किल नहीं लगेगा ।
डॉक्टर उन्हें समझा रही थी और सिमी तो जैसे किसी और ही दुनिया में थी ।उसे लग रहा था अचानक जैसे कोई आक्रमण उसकी ज़िंदगी पर हो गया है और उसे इस लड़ाई को जीतने के लिये ख़ुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना ही होगा ।
सर्जरी की डेट दस दिन बाद की थी ।घर आकर उसने ख़ुद को बाथरूम में बंद कर लिया ।बार बार आईने में अपने को हर एंगल से निहारती ,बिना ब्रेस्ट के कैसी लगेगी इसकी कल्पना भी उसके लिए दुष्कर हो रही थी ।
कुछ देर बिना कपड़ों के ख़ुद को देखती रही फिर एक ठंडी साँस लेकर स्वयं को व्यवस्थित कर बाहर आयी ।
सुधीर और केट दोनों की आँखों में उठते प्रश्न और दया के भाव को अनदेखा कर वह रसोई में जाकर ख़ाना बनाने लगी ।मन को इस उलझन से बचाने का एक यही रास्ता उसे नज़र आ रहा था ।
बड़े अनमने ढंग से उसने ख़ाना बनाया ,खिलाया ।सुधीर उसकी मनःस्थिति समझ रहा था इसलिए उसने इस समय चुप रहना ही श्रेयस्कर समझा ।
रात को बेडरूम में आते ही सुधीर के कंधे पर सिर रखकर वह बिखर गई ।
‘मैं कैसे आधी अधूरी ज़िंदगी के साथ जियूँगी सुधीर ? मेरे स्त्रीत्व की पहचान ही जब मुझसे छिन जाएगी तो क्या होगा ? ‘
‘शरीर की सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती सिमी ,तुम हमारे साथ रहोगी ,स्वस्थ रहोगी यही क्या कम होगा ? ‘
‘परंतु ……. ! ‘
‘परंतु कुछ नहीं ,तुम ज़्यादा मत सोचो ।अभी समय रहते पता चल गया है तो इलाज भी हो जाएगा ।आजकल तो इतनी एडवांस टेक्नोलॉजी है कि अगर तुम चाहोगी तो ब्रेस्ट इंप्लांट भी करवायी जा सकती है ।’
कुछ पल वह सोचती सी शून्य में ताकती रही ,फिर सहसा बोली ,’सुधीर ! तुम्हें याद है वह दिन जब केट पैदा हुई थी ? ‘
‘हाँ याद है ,पर अभी यह क्यों पूछ रही हो ? ‘
‘तुम्हें याद है ना उसका वज़न कितना कम था ,ठीक से दूध भी नहीं पी पा रही थी और मुझे दूध भी नहीं आ रहा था ।उस समय डॉक्टर ने कहा था अगर दूध नहीं उतरा तो फार्मूला देना होगा ।पर मैंने ठान लिया था जैसे भी हो केट को ब्रेस्ट फीड ही करवाऊँगी ।मैं पूरी पूरी रात उसे लेकर दूध पिलाने कोशिश करती रहती थी ।’
‘हाँ ,याद है मुझे ,तुमने साफ़ मना कर दिया था और कहा था फार्मूला देना तो ऐसा हो गया जैसे बच्चे को अभी से फ़ास्ट फ़ूड खाने को दे दिया हो ।’
‘हाँ सुधीर ,अब देखो ना यही ब्रेस्ट जिसने तब मेरी बच्ची की ज़िंदगी बचाई थी आज मेरा साथ छोड़ कर जा रही है ।’कहते कहते सिमी फ़फक कर रो पड़ी ।
सुधीर का मन भी भर आया उसने सिमी को अपने सीने से लगा लिया ।
आख़िर सर्जरी का दिन आया और अपनी एक ब्रेस्ट हॉस्पिटल में गँवा कर वह घर आ गई ।
केमोथेरेपी शुरू हो गई थी और साथ ही शुरू हो गया था उसकी शारीरिक और मानसिक यातना का दौर ।
अब तो हालत ऐसी हो गई थी कि हॉस्पिटल जाने के नाम से ही वह घबराने लगी थी ।केट और सुधीर हर पल उसके साथ थे ,मम्मी का रोज़ ही फ़ोन आता था ।एमा ने सलून का पूरा भार ख़ुद सम्भाल रखा था और साथ ही सिमी से मिलने भी आती और उसे मानसिक रूप से सहारा देती ।
पर जब सिमी इस तरह वह अपनो के चिंताग्रस्त चेहरे देखती तो और भी व्याकुल हो जाती ।सोचती ,ईश्वर मेरी ही परीक्षा लेने को क्यों आतुर है ?
कल नहाते समय बालों की एक लट हाथ में आ गई ,कितनी देर खड़ी वह आँखों में पानी भरे सोचती रही ।तो एक कदम और नज़दीक आ ही गया ।
अब मैं दोस्तों का परिवार का समाज का सामना इस स्थिति में कैसे करूँगी ?
सबकी नज़रों में अपने लिए दया का भाव मुझसे नहीं देखा जाएगा ।
दिन प्रतिदिन विकृत हो रहे इस चेहरे को मैं स्वयं ही आईने में नहीं देख पा रही हूँ तो भला कोई और कैसे मुझे इस तरह देख पाएगा ।
बहुत देर इसी तरह के विचार उसके मन में आते रहते फिर स्वयं को मुश्किल से सम्भालकर कृत्रिम मुस्कुराहट का आवरण ओढ़ वह बाहर निकल आती ।
पहले ब्रेस्ट और अब बालों का इस तरह जाना ,उसके लिए स्वीकारना सहज नहीं था ।पर जब सुधीर और केट के मुरझाए चेहरे देखती तो लगता ,ईश्वर ने इतना ही छीना है पर ज़िंदगी तो दे दी ।अपने परिवार के साथ तो है वह ,सोचकर अपने मन को मज़बूत करने में जुट जाती ।
परंतु इस यातना से गुज़रना उसके लिये आसन नहीं हो रहा था ।कई बार सोचती कि कितने यत्न और मेहनत से वह अपने कस्टमर के बाल संवारती थी ।उसका हाथ लगते ही उनके व्यक्तित्व में जादुई परिवर्तन आ जाता था ।आज अपने ही बाल साथ छोड़ रहे हैं ,चेहरा विकृत होने लगा है ।कैसे वह सलून जाकर अपने साथियों और कस्टमर का सामना कर सकेगी ? यह प्रश्न उसे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था ।पर इस तरह घर बैठकर भी गुज़ारा नहीं था ,उसे ख़ुद को किसी भी तरह मज़बूत करना ही था ।
एक महीने तक वह ख़ुद को समझाती रही । सुधीर और केट ने उसका हौसला बढ़ाया तो उसने सलून जाने की हिम्मत जुटा ही ली ।
अगले दिन उठाकर उसने मन पक्का किया और अच्छी तरह तैयार होकर सिर पर स्कार्फ़ बाँधा ,ख़ुद से वादा किया कि अब उसे मज़बूती से सबकी निगाहों का सामना करना ही होगा ।
उसने कार सलून के सामने जाकर रोक दी ,थोड़ी देर ऐसे ही बैठी रही ।उतरकर भीतर गई तो सामने ही एमा और उसके अन्य दोस्त खड़े थे ।सुधीर ने सबको पहले ही बता दिया था ।फूलों के गुच्छे और मुस्कुराहटों से उसका स्वागत हुआ ,उसका मन अजीब सा भावुक हो रहा था ।थोड़ी देर में वह सहज होने लगी ।अभी तक कोई कस्टमर नहीं आया था ,एमा उसे बड़े प्यार से अंदर ले गई और चेयर पर बैठा दिया ।एमा ने भी अपने कमर तक लहराते बालों को रंगीन स्कार्फ़ में छुपा रखा था ।उसके सामने बैठकर बहुत प्यार से वह बोली ,सिमी ! तुम आज सही सलामत हमारे साथ हो ,आज अपने सलून में बैठी हो ,ईश्वर का यह वरदान क्या कम है ?
सिमी भावुक हो गई ।
सिमी ,क्या अपनी दोस्त को आज एमा को एक बात की इजाज़त दोगी ?
क्या ? सिमी की आँखों में प्रश्न था ।
आँखें बंद करो और जब कहूँ तब खोलना ।सिमी मुस्कुराने लगी ,उसे पता था एमा अपने मन की ज़रूर करेगी ।
उसने आँखें बंद कर ली ।
एमा ने एक बॉक्स उसके सामने रख दिया और बोली ,आँखें खोल कर देखो ।
सिमी हैरान सी थी ,उसने बॉक्स खोला और हतप्रभ हो आँखों में पानी भरकर एमा का हाथ सहसा पकड़ लिया ।
बॉक्स में बिलकुल उसके बालों जैसा एक खूबसूरत विग था ।
मैं जानती हूँ तुम्हारे लिए यह आसान नहीं होगा परंतु ज़िंदगी जीने के लिए आगे कदम तो उठाना ही होगा ,कहते कहते एमा ने अपना स्कार्फ़ भी खोल दिया ।
सिमी उसे देखकर हैरान हो गई ,तुम्हारे लंबे बाल कहाँ गये ? ये कंधो तक कैसे आ गये एमा ? तुम तो कहती थी कभी नहीं कटवाओगी ,फिर यह सब क्या है ?
एमा ने विग हाथ में उठा लिया और सिमी को पहनाती हुई बोली ,मेरे बाल यहाँ है इस विग में ,इनकी जगह अब यहाँ है तुम्हारे पास ।
सिमी की आँखों से जलधारा बहने लगी ।
आओ सिमी ,हम दोनों मिलकर ज़िंदगी के ख़ाली कैनवास में फिर से रंग भरते हैं ।एमा ने सिमी को गले से लगा लिया ।
सिमी के अश्रुपूरित चेहरे पर एक आत्मविश्वास से भरी मुस्कान आ गई ।
उसे लगा जैसे उसकी ज़िंदगी का कैनवास एक बार फिर रंगो से भरने लगा हो ।
ममता त्यागी
जन्म स्थान – इंदौर, मध्य प्रदेश।
कर्मभूमि – चंडीगढ़
वर्तमान में नार्थ कैरोलाइना यू एस ए
शिक्षा – हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर एवं शिक्षा स्नातक
तीस वर्षों का अध्यापन अनुभव।
प्रकाशित कृतियाँ -कहानी संग्रह -कुहासा छँट गया एवं डोर अनजानी सी
रचनात्मक सहयोग-साझे संकलन -मन की तुरपाई , प्रवासी साहित्यकार :सुधा ओम ढींगरा
प्रवासी साहित्य संगम : इंडिया नेटबुक्स
माँ : संपादक डॉ आशा सिकरवार
वर्तमान में अमेरिका में हिन्दी के प्रसार-प्रचार के सहयोग में संलग्न अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में कहानियाँ , कविताएँ , आलेख ,समीक्षा आदि प्रकाशित भारत एवं अमेरिका में रंगमंच से जुड़कर नाटक निर्देशन एवं अभिनय का अनुभव
लेखन विधा -कहानी , कविता , आलेख , समीक्षा , उपन्यास एवं संस्मरण विधा में रुचि अमेरिका के प्रतिष्ठित साहित्यिक मंचों के सौजन्य से आयोजित काव्य गोष्ठियों में सक्रिय भागीदारी।
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बहुत शानदार कहानी . केंसर पीड़ित महिला की मनोस्थिति का स्वाभाविक वर्णन किया है आपने . जिन लोगों ने इस तरह की पीड़ा को निकट से दखा है वो समझ सकते है कितना मुश्किल होता है धैर्य बनाए रखना . कीमों भी पूरी तरह तन और मन को तोड़ देता है . आपने बहुत अच्छा चित्रण किया है केंसर पीड़ित का साथ ही उसके परिवार और साथियों का. मैं यह देख चुका हूँ परिवार बाले भी बहुत परेशान होते है पर मरीज के सामने किस तरह से होसला बनाए रखते है. परिवार के साथ साथ साथियों का सहयोग हमें उवारने में बहुत मदद करता है जैसा आपने चित्रित किया है .
बहुत सुंदर कहानी! ममता त्यागी जी का लेखन मानवीय भावनाओं और जीवन के संघर्षों को यहां उकेरता है, जिसमें नकारात्मकता में सकारात्मकता की तरफ़ जाने का मार्ग कठिन है, पर उत्तम है। आज के समय में पारिवारिक संबंधों और दोस्ती की प्राथमिकता और रिश्तों की गहराई पर यह कहानी बुनी गई है। जीवन की कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ हमें मजबूत बनने का अवसर देती हैं और रिश्तों की एहमियत पर सोच जाती है।
उनके लेखन में दो मुख्य बातें झलकती हैं:
1. मुश्किल हालातों में हिम्मत और आत्मविश्वास बनाए रखना।
2. अपने अनुभवों से खुद को बेहतर बनाना और दूसरों के जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करना।
ममता त्यागी जी शब्दों की धनी हैं! कैंसर पेशेंट की मनोस्थिति, गहरी संवेदनशीलता और उदात्त दृष्टिकोण का सुंदर समावेश है इस कहानी में, जो पाठकों को सोचने और प्रेरणा लेने के लिए मजबूर करता है।
ममता त्यागी जी की “एक डोर अंजानी सी” मुझे पढ़ने का अवसर मिला, और तब से मैं उनकी लघु कहानियों की प्रशंसक और पाठक बन गई हूँ।
बहुत सुंदर कहानी! ममता त्यागी जी का लेखन मानवीय भावनाओं और जीवन के संघर्षों को यहां उकेरता है, जिसमें नकारात्मकता में सकारात्मकता की तरफ़ जाने का मार्ग कठिन है, पर उत्तम है। आज के समय में पारिवारिक संबंधों और दोस्ती की प्राथमिकता और रिश्तों की गहराई पर यह कहानी बुनी गई है। जीवन की कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ हमें मजबूत बनने का अवसर देती हैं और रिश्तों की एहमियत पर सोच जाती है।
उनके लेखन में दो मुख्य बातें झलकती हैं:
1. मुश्किल हालातों में हिम्मत और आत्मविश्वास बनाए रखना।
2. अपने अनुभवों से खुद को बेहतर बनाना और दूसरों के जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करना।
ममता त्यागी जी शब्दों की धनी हैं! कैंसर पेशेंट की मनोस्थिति, गहरी संवेदनशीलता और उदात्त दृष्टिकोण का सुंदर समावेश है इस कहानी में, जो पाठकों को सोचने और प्रेरणा लेने के लिए मजबूर करता है।
ममता त्यागी जी की “एक डोर अंजानी सी” मुझे पढ़ने का अवसर मिला, और तब से मैं उनकी लघु कहानियों की प्रशंसक और पाठक बन गई हूँ।
बहुत सुंदर कहानी! ममता त्यागी जी का लेखन मानवीय भावनाओं और जीवन के संघर्षों को यहां उकेरता है, जिसमें नकारात्मकता में सकारात्मकता की तरफ़ जाने का मार्ग कठिन है, पर उत्तम है। आज के समय में पारिवारिक संबंधों और दोस्ती की प्राथमिकता और रिश्तों की गहराई पर यह कहानी बुनी गई है। जीवन की कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ हमें मजबूत बनने का अवसर देती हैं और रिश्तों की एहमियत पर सोच जाती है।
उनके लेखन में दो मुख्य बातें झलकती हैं:
1. मुश्किल हालातों में हिम्मत और आत्मविश्वास बनाए रखना।
2. अपने अनुभवों से खुद को बेहतर बनाना और दूसरों के जीवन को सुंदर बनाने का प्रयास करना।
ममता त्यागी जी शब्दों की धनी हैं! कैंसर पेशेंट की मनोस्थिति, गहरी संवेदनशीलता और उदात्त दृष्टिकोण का सुंदर समावेश है इस कहानी में, जो पाठकों को सोचने और प्रेरणा लेने के लिए मजबूर करता है।
ममता त्यागी जी की “एक डोर अंजानी सी” मुझे पढ़ने का अवसर मिला, और तब से मैं उनकी लघु कहानियों की प्रशंसक और पाठक बन गई हूँ।